💝PREM KI UNCHAI | प्रेम की ऊंचाई | Hindi Christian Song Lyrics
यह हिंदी क्रिश्चियन गीत "प्रेम की ऊंचाई" एक बहुत ही गहन और आत्मिक अनुभवా कितने एक रहस्योद्घाटन भक्ति गीत . इस गीत में प्रभु यीशु के प्रेम की ऊँचाई, गहराई, और चौड़ाई का वर्णन किया गया है—जो बाइबल आधारित है और प्रत्येक विश्वासी के व्यक्तिगत अनुभव को भी छूता है। आइए इस गीत को बाइबल की शिक्षाओं के आलोक में विस्तार से समझें।
*प्रभु के प्रति धन्यवाद और स्तुति*
गीत की पहली पंक्ति —
धन्यवाद और स्तुति से आरंभ होती है। बाइबल हमें लगातार परमेश्वर का धन्यवाद करने की शिक्षा देती है।
*1 थिस्सलुनीकियों 5:18* में लिखा है:
यीशु ने हमें जीवन, उद्धार, शांति, और आशा दी है। अतः एक विश्वासी का जीवन उसकी स्तुति और महिमा में बीते — यही इस पंक्ति का सार है।
*प्रेम की ऊँचाई, गहराई और चौड़ाई*
गीत की सबसे मुख्य थीम है यीशु का प्रेम —
*"तेरे प्रेम की ऊँचाई, तेरे प्रेम की गहराई, तेरे प्रेम की चौड़ाई, है वर्णन से अपार"*
यह वाक्य सीधे *इफिसियों 3:18-19* से प्रेरित है:
*"ताकि तुम सब पवित्र लोगों समेत यह समझ सको कि उसकी प्रेम की चौड़ाई और लम्बाई और ऊँचाई और गहराई क्या है; और मसीह के उस प्रेम को जान सको जो ज्ञान से परे है।"*👉Song More Information After Lyrics
👉Song Credits:💔
Leading Vocals: Grace Anand, Nesiya Digal, Jayanti Anand, Praisy Vinod, Neelkanth Digal, Rajesh Damor
Backing Vocals: Able Wilcent, Jerin Joseph, Sahil Gavit, Shalom Naik, Snehal Elpass
👉Lyrics🙋
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यीशु का प्रेम:
* *ऊँचा* है क्योंकि वह स्वर्ग से उतरा
* *गहरा* है क्योंकि उसने पापियों के लिए अपने प्राण दे दिए
* *चौड़ा* है क्योंकि वह हर जाति, भाषा, और राष्ट्र को अपनाता है
उसका प्रेम मनुष्य की बुद्धि से परे है — इसे केवल आत्मिक रूप से अनुभव किया जा सकता है।
*विजयी प्रेम: "शत्रु को हराकर वो विजय देता"*
यीशु मसीह केवल प्रेम का प्रतीक ही नहीं, बल्कि विजयी राजा हैं।
*1 कुरिन्थियों 15:57* कहता है:
यीशु ने शैतान, पाप, मृत्यु और नरक पर विजय पाई।
जब भी हम कठिनाइयों में होते हैं, वह स्वयं हमारी लड़ाइयाँ लड़ते हैं — जैसा कि गीत कहता है:
*"मेरी हर लड़ाई को प्रभु खुद ही लड़ता"*
यह बाइबल की उन घटनाओं की याद दिलाता है, जब परमेश्वर ने इस्राएलियों की ओर से युद्ध किया (2 इतिहास 20:15)।
*चिकित्सा और शांति देने वाला प्रेम*
गत का दूसरा अंतरा कहता है:
*"हर घाव को, हर दर्द को मिटाता ये प्रेम"*
यीशु का प्रेम केवल आत्मिक नहीं, शारीरिक और मानसिक उपचार भी प्रदान करता है।
*यशायाह 53:5* कहता है:
*"उसकी मार के कारण हमें चंगाई मिली है।"*
यीशु ने क्रूस पर अपने शरीर को तोड़ दिया ताकि हम पूरे हो सकें। उसका प्रेम हर चोट, हर दुःख, हर अस्वीकृति को छू सकता है और उपचार दे सकता है।
*यह प्रेम क्यों अनमोल है?*
* *यह प्रेम शर्तों पर आधारित नहीं* है, बल्कि अनुग्रह पर आधारित है
* *यह प्रेम बदलता नहीं* — मनुष्य बदल सकता है, लेकिन परमेश्वर का प्रेम नहीं (मलाकी 3:6)
* *यह प्रेम हमेशा उपलब्ध* है — न अतीत, न वर्तमान, न भविष्य इसे हमसे अलग कर सकते हैं (रोमियों 8:38-39)
*व्यक्तिगत संदेश*
इस गीत का उद्देश्य केवल भावनात्मक अनुभव नहीं, बल्कि आत्मिक सशक्तिकरण है। यह हमें सिखाता है कि —
* जब हम हारे हुए लगते हैं, यीशु हमें विजय दिलाते हैं
* जब हम टूटी हुई स्थिति में होते हैं, यीशु का प्रेम हमें संपूर्ण बनाता है
* जब हमें कोई नहीं समझता, यीशु का प्रेम हमें अपनाता है
"प्रेम की ऊँचाई" गीत मसीह के प्रेम का गान है। यह प्रेम केवल सैद्धांतिक नहीं, बल्कि दैनिक जीवन में अनुभव होने वाला सच्चा प्रेम है।
यीशु मसीह का प्रेम हर बंधन को तोड़ सकता है, हर आंसू को पोंछ सकता है, और हर आत्मा को चंगा कर सकता है। यह गीत हमें याद दिलाता है कि हम अकेले नहीं हैं — हमारे साथ एक ऐसा प्रेम है जो हमें कभी नहीं छोड़ेगा।
*येशुआ तेरा धन्यवाद हो, तेरी स्तुति महिमा हो — मेरे जीवन में सदा।*
*प्रेम की ऊँचाई – हिंदी ईसाई गीत पर एक आत्मिक मनन*
यह गीत केवल एक संगीत रचना नहीं है, बल्कि परमेश्वर के प्रेम की महानता का आत्मिक अनुभव है। "प्रेम की ऊँचाई" एक ऐसा गीत है जो हमें यीशु मसीह के असीम प्रेम की ओर ले जाता है — एक ऐसा प्रेम जो नाप से परे है, और जो हर स्थिति में साथ देता है।
*1. प्रेम की ऊँचाई – स्वर्ग से उतरा प्रेम*
यीशु का प्रेम इतना ऊँचा है कि वह परमेश्वर का पुत्र होकर भी स्वर्ग को त्यागकर मनुष्य रूप में संसार में आया।
*फिलिप्पियों 2:6-7* में लिखा है:
यह ऊँचाई वाला प्रेम, झुककर मनुष्यों के बीच आया ताकि हम ऊँचाई में उठा सकें। यही प्रेम "प्रेम की ऊँचाई" कहलाता है।
*2. प्रेम की गहराई – क्रूस का बलिदान*
प्रभु यीशु का प्रेम इतना गहरा है कि उसने हमारे पापों के लिए क्रूस पर अपने प्राण तक दे दिए।
*यूहन्ना 15:13* कहता है:
क्रूस की गहराई में उतरना, पाप की सजा लेना, और फिर भी प्रेम से क्षमा कर देना — यह उस प्रेम की गहराई है जिसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता।
*3. प्रेम की चौड़ाई – सबके लिए खुला प्रेम*
यीशु का प्रेम सीमित नहीं है — वह हर जाति, रंग, भाषा, और स्थिति के लोगों के लिए है।
*यूहन्ना 3:16* में यह स्पष्ट कहा गया है:
> “क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया...”
यह चौड़ाई वाला प्रेम हमें अपनाता है चाहे हम कितने भी पापी क्यों न रहे हों। यही प्रेम रहाब, मरियम, और प्रेरित पौलुस जैसे लोगों के जीवन में दिखा।
*4. प्रभु की स्तुति – हर परिस्थिति में धन्यवाद*
गीत की शुरुआत इन शब्दों से होती है:
*“येशुआ तेरा धन्यवाद हो, तेरी स्तुति महिमा हो, मेरे जीवन में सदा”*
यह हर विश्वासी को याद दिलाता है कि चाहे जीवन में कितनी भी कठिनाई क्यों न हो, हमें धन्यवाद करते रहना है।
*1 थिस्सलुनीकियों 5:18* कहता है:
> “हर बात में धन्यवाद करो, क्योंकि मसीह यीशु में तुम्हारे लिए परमेश्वर की यही इच्छा है।”
जब हम स्तुति करते हैं, तब हम शैतान की योजनाओं को परास्त करते हैं और विश्वास में खड़े रहते हैं।
*5. वह मेरी हर लड़ाई लड़ता है*
गीत में एक प्रेरक पंक्ति है:
*“शत्रु को हराकर वो विजय देता, मेरी हर लड़ाई को प्रभु खुद ही लड़ता”*
यह स्पष्ट करता है कि मसीही जीवन में हमारी शक्तियाँ ही नहीं, बल्कि प्रभु की सामर्थ्य हमारी रक्षा करती है।
**2 इतिहास 20:15* में यह सच्चाई है:
> “यह युद्ध तुम्हारा नहीं, परन्तु परमेश्वर का है।”
यह आश्वासन हमें विश्वास की स्थिरता देता है कि जब हम निर्बल होते हैं, तब यीशु हमारी लड़ाई लड़ता है।
*6. प्रेम जो चंगाई लाता है*
*“हर घाव को, हर दर्द को मिटाता ये प्रेम”* – यह गीत का वह भाग है जो लोगों को भावनात्मक और आत्मिक चंगाई की ओर ले जाता है।
*यशायाह 53:5* कहता है:
> “उसकी मार के कारण हमें चंगाई मिली है।”
यीशु का प्रेम न केवल पापों से, बल्कि हमारे टूटे दिल, अस्वीकृति, चिंता, और भय से भी चंगा करता है। उसका प्रेम मलहम के समान है।
*7. गीत की आत्मिक गहराई – दैनिक जीवन में उपयोग*
यह गीत हमें सिखाता है कि:
* हर दिन प्रभु की स्तुति करें
* हर स्थिति में उसके प्रेम को याद रखें
* जब आप अकेले हों, उसकी संगति को पहचानें
* जब आप थकें हों, उसकी सामर्थ्य पर भरोसा करें
यह गीत आत्मा को उठाता है और विश्वास को मजबूत करता है।
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*निष्कर्ष:*
*"प्रेम की ऊँचाई"* एक आत्मिक दृष्टिकोण से समृद्ध गीत है जो केवल मन को नहीं, आत्मा को भी छूता है। यह यीशु के प्रेम की ऊँचाई, गहराई, और चौड़ाई को दर्शाता है, और हमें स्मरण दिलाता है कि कोई भी परिस्थिति उस प्रेम से हमें अलग नहीं कर सकती।
*रोमियों 8:39* कहता है:
> “न कोई और सृजन की वस्तु हमें परमेश्वर के उस प्रेम से जो हमारे प्रभु यीशु मसीह में है, अलग कर सकेगी।”
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