में जो पुकारूं तू सुन लेना Hindi Christian Song Lyrics
Lyrics:
मैं जो पुकारूँ तू सुन लेना,
अंधेरी वादी में हाथ थाम लेना।
जब राहें मुश्किल लगें मुझे,
ए रूहे खुदा गिरने ना देना।
मैं जो पुकारूँ तू सुन लेना,
अंधेरी वादी में हाथ थाम लेना।
जब राहें मुश्किल लगें मुझे,
ए रूहे खुदा गिरने ना देना।
ए रूहे खुदा गिरने ना देना।
यीशु मसीहा, तू मेरा सहारा,
तेरे बिना मैं कुछ भी नहीं।
सदा मेरे संग रहना प्रभु,
बिना तेरे मुझे चलना नहीं
यीशु मसीहा, तू मेरा सहारा,
तेरे बिना मैं कुछ भी नहीं।
सदा मेरे संग रहना प्रभु,
बिना तेरे मुझे चलना नहीं
जब आँधी तूफ़ान आए प्रभु,
मेरी चट्टान बन जाना तू
तेरे वादों पर भरोसा रखूं
तेरी शांति से भर देना तू
जब आँधी तूफ़ान आए प्रभु,
मेरी चट्टान बन जाना तू
तेरे वादों पर भरोसा रखूं
तेरी शांति से भर देना तू
तेरी शांति से भर देना तू
यीशु मसीहा, तू मेरा सहारा,
तेरे बिना मैं कुछ भी नहीं।
सदा मेरे संग रहना प्रभु,
बिना तेरे मुझे चलना नहीं
यीशु मसीहा, तू मेरा सहारा,
तेरे बिना मैं कुछ भी नहीं।
सदा मेरे संग रहना प्रभु,
बिना तेरे मुझे चलना नहीं
तेरी आत्मा से भरना चाहुं
लहू से जो खरीदा है मुझे
अनंतकाल तक तेरी स्तुति गाऊँ,
तेरे नाम को मैं ऊँचा उठाऊँ।
तेरी आत्मा से भरना चाहुं
लहू से जो खरीदा है मुझे
अनंतकाल तक तेरी स्तुति गाऊँ,
तेरे नाम को मैं ऊँचा उठाऊँ।
तेरे नाम को मैं ऊँचा उठाऊँ।
यीशु मसीहा, तू मेरा सहारा,
तेरे बिना मैं कुछ भी नहीं।
सदा मेरे संग रहना प्रभु,
बिना तेरे मुझे चलना नहीं
यीशु मसीहा, तू मेरा सहारा,
तेरे बिना मैं कुछ भी नहीं।
सदा मेरे संग रहना प्रभु,
बिना तेरे मुझे चलना नहीं
यीशु मसीहा, तू मेरा सहारा,
तेरे बिना मैं कुछ भी नहीं।
सदा मेरे संग रहना प्रभु,
बिना तेरे मुझे चलना नहीं
मैं जो पुकारूँ तू सुन लेना,
अंधेरी वादी में हाथ थाम लेना....
जब राहें मुश्किल लगें मुझे,
ए रूहे खुदा गिरने ना देना.…
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📌(Disclaimer):
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👉The divine message in this song👈
“मैं जो पुकारूं तू सुन लेना” – हिंदी क्रिश्चियन गीत का आत्मिक संदेश
"मैं जो पुकारूं तू सुन लेना" एक गहरी प्रार्थना से भरा हिंदी क्रिश्चियन गीत है। इस गीत में विश्वासियों का वह भाव व्यक्त होता है, जिसमें वे प्रभु यीशु मसीह से अपने जीवन की कठिन परिस्थितियों में सहारा माँगते हैं। यह गीत केवल एक स्तुति नहीं, बल्कि उस हृदय की पुकार है जो जीवन की अंधेरी घाटियों से होकर भी ईश्वर की उपस्थिति को ढूँढता है।
1. गीत की आत्मिक पृष्ठभूमि
गीत की शुरुआत ही अत्यंत सरल परन्तु गहरी प्रार्थना से होती है— *“मैं जो पुकारूँ तू सुन लेना, अंधेरी वादी में हाथ थाम लेना।”* यह वचन सीधे *भजन संहिता 23:4* की याद दिलाता है—
*"चाहे मैं घोर अंधकारमय तराई में होकर चलूँ, तौभी हानि से न डरूँगा, क्योंकि तू मेरे साथ है; तेरी लाठी और तेरी साँटी से मुझे शांति मिलती है।"*
विश्वासियों का जीवन सदैव सरल नहीं होता। हम अंधेरों, तूफानों और परीक्षाओं से होकर गुजरते हैं। परन्तु जब हम प्रभु को पुकारते हैं, वह न केवल हमारी सुनता है, बल्कि हमारे साथ चलता है। यही इस गीत का मुख्य भाव है।
2. यीशु मसीह – जीवन का सहारा
गीत के कोरस में बार-बार दोहराया गया है—
*"यीशु मसीहा, तू मेरा सहारा, तेरे बिना मैं कुछ भी नहीं।"*
यह स्वीकार करना कि बिना मसीह के हम कुछ भी नहीं, एक सच्चे आत्मसमर्पण का चिन्ह है।
यीशु ने स्वयं कहा है—
*यूहन्ना 15:5* *“मैं दाखलता हूँ, तुम डालियाँ हो; जो मुझ में बना रहता है और मैं उस में, वही बहुत फल लाता है, क्योंकि मुझ से अलग होकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते।”*
यह गीत हमें याद दिलाता है कि हमारे जीवन का मूल स्रोत, शक्ति और आशा केवल मसीह ही हैं।
3. जीवन की आँधी और तूफान
गीत कहता है— *“जब आँधी तूफ़ान आए प्रभु, मेरी चट्टान बन जाना तू।”*
यहाँ स्पष्ट है कि विश्वासी जीवन में आँधियाँ और तूफान तो आएंगे, लेकिन यीशु चट्टान की तरह अडिग खड़े रहेंगे।
*मत्ती 7:24-25* में प्रभु कहते हैं कि जो उसका वचन सुनकर उस पर चलता है, वह उस बुद्धिमान मनुष्य के समान है जिसने अपना घर चट्टान पर बनाया। आँधी और वर्षा आने पर भी उसका घर नहीं गिरा। इसी प्रकार जब हम प्रभु पर भरोसा रखते हैं, कोई भी परिस्थिति हमें गिरा नहीं सकती।
4. पवित्र आत्मा की आवश्यकता
गीत में प्रार्थना की गई है—
*“तेरी आत्मा से भरना चाहूं, लहू से जो खरीदा है मुझे।”*
यह शब्द विश्वासियों की आत्मिक प्यास को दर्शाते हैं। प्रभु यीशु ने हमें अपने लहू से छुड़ाया है, और पवित्र आत्मा हमें शक्ति देता है ताकि हम उसके मार्ग में स्थिर बने रहें।
*प्रेरितों के काम 1:8* कहता है— *“परन्तु जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगा तब तुम सामर्थ पाओगे; और यरूशलेम, सारे यहूदिया और सामरिया में, और पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होगे।”*
इस गीत का यह अंश हमें आत्मिक सामर्थ के लिए प्रार्थना करने को प्रेरित करता है।
5. प्रभु के वचनों पर भरोसा
गीत में यह भी कहा गया है—
*“तेरे वादों पर भरोसा रखूं, तेरी शांति से भर देना तू।”*
प्रभु के वचन सदा अटल हैं। संसार बदल सकता है, परंतु उसकी प्रतिज्ञाएँ कभी असफल नहीं होतीं।
*यशायाह 41:10* में परमेश्वर का वचन है—
*"मत डर, क्योंकि मैं तेरे साथ हूँ; विस्मित न हो, क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर हूँ; मैं तुझे दृढ़ करूँगा और तेरी सहायता करूँगा; अपने धर्ममय दाहिने हाथ से तुझे सम्भाले रहूँगा।"*
यह गीत हमें याद दिलाता है कि हर परिस्थिति में हमें प्रभु के वचनों को थामे रहना है।
6. अनन्त स्तुति का आह्वान
गीत का अंतिम अंश कहता है—
*“अनंतकाल तक तेरी स्तुति गाऊं, तेरे नाम को मैं ऊँचा उठाऊं।”*
यह केवल वर्तमान जीवन तक सीमित प्रार्थना नहीं है। यह अनन्त काल तक प्रभु के नाम की महिमा करने का संकल्प है।
*प्रकाशितवाक्य 5:13* कहता है—
*"और हर एक प्राणी जो स्वर्ग में, पृथ्वी पर, पृथ्वी के नीचे, और समुद्र में है, और जो कुछ उन में है, मैं ने उन को यह कहते सुना, कि जो सिंहासन पर बैठा है, उसका और मेम्ने का धन्यवाद और आदर और महिमा और प्रभुता युगानुयुग होती रहे।"*
गीत हमें इस अनन्त आराधना का हिस्सा बनने की तैयारी कराता है।
7. व्यक्तिगत जीवन के लिए शिक्षा
यह गीत हमें सिखाता है कि—
* हर पुकार पर प्रभु सुनते हैं।
* अंधेरी घाटी में भी वह हाथ थामते हैं।
* आँधियों और तूफानों में भी वह हमारी चट्टान हैं।
* उनके बिना जीवन शून्य है।
* पवित्र आत्मा की सामर्थ से ही हम स्थिर रह सकते हैं।
* अनन्तकाल तक उसकी महिमा करना ही हमारे जीवन का ध्येय है।
निष्कर्ष
*"मैं जो पुकारूं तू सुन लेना"* गीत विश्वासियों की सच्ची पुकार और आत्मिक यात्रा का सुंदर चित्रण है। यह गीत हर उस हृदय को छूता है जो कठिनाइयों में होकर भी प्रभु की उपस्थिति पर विश्वास रखता है। इसमें आशा, प्रार्थना और स्तुति का गहरा संगम है।
इस गीत का संदेश हमें हर दिन याद दिलाता है कि जीवन में चाहे कैसी भी परिस्थितियाँ आएं, हमें यीशु मसीह को अपने सहारे के रूप में थामे रहना है। वही हमें गिरने नहीं देंगे, वही हमारी चट्टान हैं और वही हमारी शांति का स्रोत हैं।
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