💖Yeshu Tu / यशु तू Hindi Christian Song Lyrics
👉Song Information💕
*परिचय:*
"येशु तू" एक आत्मीय हिंदी मसीही भक्ति गीत है जो विश्वास, आराधना, और आत्मसमर्पण की भावना को दर्शाता है। यह गीत डॉ. साल देबबर्मा द्वारा लिखा और संगीतबद्ध किया गया है, और चंद्रा देबबर्मा व नेल्सन देबबर्मा की आवाज़ में प्रस्तुत किया गया है। गीत के संगीत संयोजन में एक सौम्यता है जो आत्मा को परमेश्वर के समीप लाती है। यह गीत विशेष रूप से उस व्यक्तिगत संबंध को उजागर करता है जो एक विश्वासी अपने उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह से अनुभव करता है।
*गीत की मुख्य भावना:*
गीत की शुरुआत में "हे येशु तू, तू ही मेरी सब कुछ" कहकर यह स्पष्ट किया गया है कि लेखक अपने जीवन में यीशु मसीह को सर्वोच्च स्थान देता है। यह वाक्यांश हमें एक गहरे आत्मिक सम्बन्ध की याद दिलाता है – जिसमें परमेश्वर केवल आराध्य ही नहीं, बल्कि जीवन का सार, आशा और लक्ष्य भी हैं।👉Song More Information After Lyrics
👉Song Credits:💝
Artist : Chandra Debbarma & Nelson Debbarma
Audio and Video Produced at: KR Records Live Recording
Music Credits: Acoustic
Guitar: Nelson Debbarma
Lead: Labiyas Uchoi
Flute: Kripa Sindu Jamatia
Bass: Labiyas Uchoi
Piano: Shakolom Debbarma
👉Lyrics:🙋
हिंदी👈
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*अंधेरे से उजाले की ओर यात्रा:*
"अँधेरे जीवन में लाई तूने रोशनी" – यह पंक्ति बाइबिल के यूहन्ना 8:12 की याद दिलाती है जहाँ यीशु कहते हैं, "मैं जगत की ज्योति हूँ; जो मेरे पीछे हो लेगा वह अंधकार में न चलेगा, पर जीवन की ज्योति पाएगा।" यह गीत उसी अनुभव को साझा करता है – जब मनुष्य पाप और निराशा के अंधकार में होता है, तब यीशु उसे ज्योति दिखाते हैं और नया जीवन प्रदान करते हैं।
*निरंतर स्तुति का जीवन:*
"लिखता रहूँगा गीत मैं तेरा, गाता रहूँगा गीत मैं तेरा..." – यह पंक्तियाँ एक सतत आराधना के जीवन को दर्शाती हैं। एक मसीही विश्वासी के जीवन में स्तुति केवल एक क्रिया नहीं, बल्कि एक जीवनशैली होती है। भजन संहिता 34:1 में भी दाऊद कहता है, "मैं सर्वदा यहोवा को धन्य कहूँगा; उसकी स्तुति निरंतर मेरे मुँह में बनी रहेगी।"
*प्रभु की संगति में जीवन यात्रा:*
गीत की सबसे सशक्त पंक्तियों में से एक है – "रहना तू मेरे संग, साथ देना ये सफर में।" यह पंक्तियाँ उस आवश्यकता को दर्शाती हैं जो हर मसीही अनुभव करता है – प्रभु की उपस्थिति हर परिस्थिति में। चाहे जीवन की राह कितनी ही कठिन क्यों न हो, यीशु की संगति ही हमारी ढाल और बल है।
*प्रेम और आनन्द की नगरी की ओर:*
"यीशु ले चल ख़ुशी की नगर में, प्यार की नगरी में..." – यह भाव भविष्य की उस आशा की ओर इशारा करता है जहाँ प्रभु अपने विश्वासियों को एक अनंत आनन्द और शांति के स्थान पर ले जाएगा। यह प्रकाशितवाक्य 21:4 में वर्णित स्वर्ग की ओर इशारा करता है – "वह उनकी आँखों के सारे आँसू पोंछ देगा; वहाँ न मृत्यु होगी, न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी।"
*पुल का सार:*
गीत का पुल गहराई से आत्मिक है – "तू ही है आखिरी मंजिल मेरी... तू ही इबादत मेरी।" यह घोषणा है कि यीशु केवल यात्रा के साथी ही नहीं, बल्कि जीवन की अंतिम मंज़िल भी हैं। गीतकार के अनुसार, यीशु मसीह ही उनके जीवन की चाह, उनकी आराधना और उनकी आत्मा की संतुष्टि हैं।
*निष्कर्ष:*
"येशु तू" गीत हमें इस बात का स्मरण कराता है कि मसीही जीवन केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि एक जीवंत, प्रेमपूर्ण और व्यक्तिगत संबंध है प्रभु यीशु मसीह के साथ।। यह गीत केवल एक संगीत नहीं, बल्कि एक प्रार्थना है – जिसमें एक पापी हृदय परमेश्वर की ज्योति, प्रेम और उपस्थिति की तलाश करता है।
"येशु तू" एक आत्मीय हिंदी मसीही गीत है जो प्रभु यीशु मसीह के प्रति एक विश्वासी के गहरे प्रेम, समर्पण और निर्भरता को दर्शाता है। यह गीत एक सजीव अनुभव की तरह है, जहाँ गायक यीशु को अपना सब कुछ मानते हुए अपने जीवन की हर दिशा में उनका साथ चाहता है।
*यीशु – जीवन की रोशनी*
गीत कहता है, *"अँधेरे जीवन में लाई तूने रोशनी"* — यह यूहन्ना 8:12 की पुष्टि करता है:
> “यीशु ने फिर उनसे कहा, ‘मैं जगत की ज्योति हूं; जो मेरे पीछे हो लेगा, वह अन्धकार में न चलेगा, परन्तु जीवन की ज्योति पाएगा।’”
यह दिखाता है कि प्रभु हमारे अंधकारमय, पापमय जीवन में आशा और मार्गदर्शन की ज्योति लाते हैं।
*स्तुति और संगति की अभिलाषा*
गीत के बोल *"गाता रहूँगा गीत मैं तेरा, लेना रहूँ नाम तेरा"* प्रेरितों के काम 16:25 की याद दिलाते हैं, जब पौलुस और सीलास कैद में भी प्रभु की स्तुति कर रहे थे। यह सिखाता है कि सच्चा विश्वासी हर हाल में प्रभु की आराधना करता है।
*साथ चलने की विनती*
*“रहना तू मेरे संग, साथ देना ये सफर में”* — यह भजन संहिता 23:4 को उजागर करता है:
यह पंक्ति बताती है कि जीवन की यात्रा में हमें सबसे अधिक आवश्यकता यीशु की उपस्थिति की है।
*प्रेम की नगरी की आशा*
गीत की यह इच्छा — *“यीशु ले चल ख़ुशी की नगर में, प्यार की नगरी में”* — प्रकाशितवाक्य 21:2-4 में उल्लिखित उस नए यरूशलेम की ओर संकेत करती है, जहाँ कोई आँसू, शोक या मृत्यु नहीं होगी।
*निष्कर्ष*
"येशु तू" गीत एक भक्ति गीत भर नहीं, बल्कि एक आत्मिक यात्रा है — जहां एक हृदय प्रभु को जीवन का केंद्र मानता है और उनके बिना किसी भी दिशा को व्यर्थ समझता है। यह गीत हमें स्मरण कराता है कि सच्चा आनन्द, सुरक्षा और आशा केवल यीशु मसीह में ही है।
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